Saturday, December 10, 2011

(Prem Ras Madira) bhajan


वृषभानु लली गुन गाइये ।
... उनकेइ चरण कमल कहँ ध्यावत आठों याम गमाइये ।
उनकेइ नाम लेत निशिवासर अँसुवन धार बहाइये ।
उनकेइ नित्यधाम बरसाने पुनि पुनि आइय जाइय ।
उनकेइ परम पवित्र चरित कहँ सुनिये और सुनाइये ।
उनकेइ जो कृपालु जन उन ते प्रेम सुधा रस पाइये
Chant the glories of darling daughter of Shree Brishvanuji
Spend twenty four hours, contemplating on Her Lotus Feet
Shed tears day and night, chanting Her name
Keep on visiting Her eternal abode, Barsana Dham
Listen and relate Her all pious dispositions
Endow yourself with sweet nectar of love propagated by Her gracious saints, says Shree Kripaluji Maharaj

prayer


हे परम प्रियतम पूर्णतम पुरुषोत्तम श्री कृष्ण ! तुमसे विमुख होने के कारण अनादिकाल से हमने अनंतानंत दुःख पा...ए एवं पा रहे हैं ।

पाप करते करते अंतःकरण इतना मलिन हो चुका है
कि रसिकों द्वारा यह जानने पर भी कि तुम अपनी भुजाओं को पसारे
अपनी वात्सल्यमयी दृष्टि से हमारी प्रतीक्षा कर रहे हो , तुम्हारी शरण में नहीं आ पाता ।
.
हे अशरण शरण ! तुम्हारी कृपा के बिना तुम्हे कोई जान भी तो नहीं सकता ।

ऐसी स्थिति में , हे अकारण करुण ! पतित पावन श्री कृष्ण ! तुम अपनी अहैतुकी कृपा से ही हमको अपना लो ।

हे करुणा सागर ! हम भुक्ति मुक्ति आदि कुछ नहीं मांगते , हमें तो केवल तुम्हारे निष्काम प्रेम की ही एक मात्र चाह है ।

हे नाथ ! अपने विरद की ओर देखकर इस अधम को निराश न करो ।

हे जीवन धन ! अब बहुत हो चुका । अब तो तुम्हारे प्रेम के बिना यह जीवन मृत्यु से भी अधिक भयानक है ।
अतएव ...प्रेमभिक्षां देहि , प्रेमभिक्षां देहि , प्रेमभिक्षां देहि।