Tuesday, August 7, 2012

अमूल्य तत्वज्ञान - परम वन्दनीय जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज

प्रश्न - हमारे सेव्य कौन हैं ?

उत्तर (श्री कृपालु जी महाराज) - हमारे सेव्य श्री कृष्ण ही हैं. हमारे माने आत्मा का असली सेव्य कौन है. क्योंकि विश्व का प्रत्येक व्यक्ति एकमात्र आनंद ही चाहता है अतः वह आनंद का दास है. श्री कृष्ण एवं आनंद पर्यायवाची शब्द हैं अतः वह श्री कृष्ण का अनजाने में दास ही है. हम (आत्मा) अंश हैं, वे (श्रीकृष्ण) अं
शी हैं. तो अंश अपने अंशी को ही चाहता है. आग कि लोउ ऊपर को जाती है, सूर्य की अंश है वो, वो अंशी है. पृथ्वी का ढेला पृथ्वी की ओर आता है, पृथ्वी का अंश है. ऐसे ही हर चीज का अंश अपने अंशी की ओर भागता है, ये नेचर है. सब नदियाँ समुद्र की ओर भागती हैं क्योंकि समुद्र उनका अंशी है और समुद्र में लीन हो जाती हैं. ऐसे ही हम जीव हैं, भगवान् के अंश है, इसलिए अंशी को पाना हमारा नेचर है. देखो ये संसार पंचमहाभूत का है, इसलिए सजातीय हैं इनका विषय पंचमहाभूत का शरीर.. हम (आत्मा) दिव्य हैं, भगवान् के अंश हैं. अतः श्रीकृष्ण ही हमारे सेव्य हैं...

जीव कृष्ण नित्य दास गोविन्द राधे |
यही तत्वज्ञान निज बुद्धि में बिठा दे | |

5 comments:

  1. Outstanding..Jai Shree Radhey!!

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  2. hmmmmm... great...radhe radhe ....

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  3. hamara maharajji ki jaya hos
    jaya jaya hos jaya jaya hos
    kripasindu ki jaya ho

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